वेब टीम : दिल्ली कोविड-19 महामारी के खिलाफ इस्तेमाल हो रहीं कुछ दवाएं अलग खतरा पैदा कर सकती हैं। ताजा रिसर्च बताती है कि इलाज में ऐंटीबायोट...
वेब टीम : दिल्ली
कोविड-19 महामारी के खिलाफ इस्तेमाल हो रहीं कुछ दवाएं अलग खतरा पैदा कर सकती हैं। ताजा रिसर्च बताती है कि इलाज में ऐंटीबायोटिक्स का खूब इस्तेमाल हो रहा है।
एशिया में हुई स्टडी के मुताबिक, 70% से ज्यादा मरीजों को ऐंटीमाइक्रोबियल ट्रीटमेंट दिया गया जबकि 10% से भी कम में बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन था।
पता चला कि ऐसी ऐंटीबायोटिक्स दी जा रही हैं जो कई तरह के बैक्टीरिया को मारती है। ऐंटीबायोटिक्स के इतने ज्यादा इस्तेमाल से चिंतित कई साइंटिफिक जर्नल्स में एक्सपर्ट्स ने एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस यानी AMR की चेतावनी दी है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑगनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, मरीज अस्पताल में भर्ती किया जाए तो उसे बैक्टीरियल को-इन्फेक्शन संभव है। ऐसे में उसे ऐंटीबायोटिक्स की जरूरत पड़ेगी।
मगर ऐंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल से एक दिक्कत होती है जिसे ऐंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) कहते हैं। हर साल सात लाख से ज्यादा इसकी वजह से मारे जाते हैं।
WHO ने भी ऐंटीबायोटिक्स ज्यादा यूज करने को लेकर चेतावनी देते हुए कहा था कि इससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की गाइडलाइंस के अनुसार, क्लिनिकल डायग्नोसिस के बाद ही ऐंटीबायोटिक ट्रीटमेंट शुरू किया जाना चाहिए।
दरअसल, गंभीर मामलों में Covid-19 से निमोनिया हो सकता है। और उसके इलाज के लिए ऐंटीबायोटिक्स देना जरूरी है। अगर किसी ऐंटीबायोटिक रेजिस्टेंट बैक्टीरिया (ARB) की वजह से सेकेंडरी इन्फेक्शन हुआ तो हालात बेहद गंभीर हो जाते हैं।
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